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पूर्व डीजीपी सहित दस अफसरों पर नहीं बनता केस

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कांस्टेबल को निलंबित करने के मामले में हाई कोर्ट में पुलिस ने दिया जवाब

विनोद ठाकुर ट्राइबल टुडे

कांस्टेबल धर्म सुख नेगी का कथित्तौर पर उत्पीडऩ कर नौकरी से निकालने के मामले में आरोपी बनाए गए प्रार्थी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। प्रार्थी पुलिस अधीक्षक अंजुम आरा व दो अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने को लेकर दायर याचिका के जवाब में पुलिस विभाग ने यह बात कही। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपे जवाब में पुलिस विभाग की ओर से बताया गया कि प्रार्थियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई आपराधिक मामला नहीं बनता। कोर्ट को यह भी बताया गया है कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए 23 अक्तूबर को फाइनल कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार की गई है। इस पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने मामले की सुनवाई दो दिसंबर को निर्धारित करने का आदेश पारित किया। मामले के अनुसार बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, दो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर, तीन एसपी समेत दस पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। कांस्टेबल और उसकी पत्नी किन्नौर के रहने वाले हैं।
महिला ने शिकायत में बताया कि पुलिस के उच्च अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति धर्म सुख नेगी को नौकरी से निकाला है। महिला द्वारा पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, रिटायर आईपीएस हिमांशु मिश्रा और अरविंद शारदा, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, दिवाकर दत्त, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, पंकज शर्मा, मीनाक्षी और डीएसपी बलदेव दत्त के खिलाफ शिकायत दर्ज है। प्रार्थी अंजुम आरा, पंकज शर्मा और बलदेव दत्त ने खिलाफ आरोपों को निराधार बताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी को रद्द करने की गुहार लगाई है।