Bharmour

जनजातीय क्षेत्र भरमौर के सुप्रसिद्ध कार्तिक स्वामी मंदिर कुगति के कपाट आज दोपहर बाद श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए

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विनोद ठाकुर ट्राइबल टुडे

जनजातीय क्षेत्र भरमौर के सुप्रसिद्ध कार्तिक स्वामी मंदिर कुगति के कपाट आज दोपहर बाद श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए अब यह कपाट 4 माह और 13 दिनों के पश्चात यानि 134 दिनों बाद श्रद्धालुओं के लिए बैसाखी पर्व पर खुलेंगे बता दें कि इस मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी कार्तिक स्वामी मन्दिर के पुजारी इसका बखूबी निर्वहन कर रहे हैं कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद होने की परंपरा का गवाह बनने के लिए इस मर्तबा भी श्रद्धालुओं का भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ी भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती में आज 30 दोपहर 12 बजे से पहले पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा का कहना है कि मंदिर के कपाट बंद होने से पहले परिसर के पूजा अर्चना की गई और पूरी विधि विधान से सदियों से चली आ रही परंपराका निर्वहन आज किया गया उनका कहना कि हर वर्ष इस परंपरा को पुजारी वर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रहा है उधर कार्तिक स्वामी के कपाट बंद होने को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं बर्फ की चादर ओढ़ कुदरत सुप्त अवस्था में चली जाती है और देवता स्वर्ग लोक की और प्रस्थान कर जाते हैं जिसको स्थानीय भाषा में अंदरोल कहा जाता लिहाजा यहां श्रदालुओं का प्रवेश पूरी तरह वर्जित हो जाता है दूसरी मान्यता यह है कि नहीं इसको सदियों से कार्तिकेय भगवान हर वर्ष सर्दियों में दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान कर जाते हैं इसके चलते नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में इस मंदिर को यात्रियों के लिए बंद कर दिया जाता है भवन कार्तिक स्वामी के प्रति दक्षिण भारत के लोगों में भी अटूट आस्था है पुजारी के अनुसार मंदिर के बंद होने के समय मन्दिर की ओर कोई जाए तो उनके साथ किसी भी प्रकार के अनहोनी होने का भी अंदेशा रहता है इस दौरान देवी देवता इन मंदिरों में नहीं होते लिहाजा इस दौरान मंदिर की ओर प्रस्थान करना असुभ माना जाता है।