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हिमाचल: पहले फर्जी कहानी बनाकर पकड़ा, गुनाह नहीं कबूला तो लॉकअप में पीट-पीटकर कर दी हत्या, जानें

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विनोद ठाकुर ट्राइबल टुडे

शिमला के कोटखाई गुड़िया रेप मर्डर केस के आरोपी की मौत मामले में 8 पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया गया है। दोषी पुलिस कर्मियों ने पहले फर्जी कहानी बनाकर सूरज को पकड़ा और उसके बाद उसकी कोटखाई थाना के लॉकअप में हत्या कर दी।

दिल दहला देने वाले गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड मामले में दोषी पुलिस कर्मियों ने पहले फर्जी कहानी बनाकर सूरज को पकड़ा और उसके बाद उसकी कोटखाई थाना के लॉकअप में हत्या कर दी। यानी पहले गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड की मनगढ़ंत कथा गढ़ी, उसके बाद कत्ल की। आरोपी पुलिस वालों ने सेब बगीचे में साथ काम करने वाले बेगुनाह राजू को सूरज का हत्यारा करार दे दिया। अफसरों ने लॉकअप में दोनों की निगरानी ठीक से न करने के आरोप में अकेले संतरी पर लापरवाही का ठीकरा फोड़े जाने की फिर एक और योजना बनाई। पर जनाक्रोश के बीच मामला सीबीआई को चला गया तो संतरी दिनेश शर्मा के खुलासे के बाद ही सूरज हत्याकांड की असल गुत्थी खुली।

गुड़िया (काल्पनिक नाम) दुष्कर्म और हत्या का मामला 6 जुलाई 2017 को सामने आया। उसके बाद कोटखाई थाने में इसी मामले में आरोपी बनाए गए सूरज की हत्या 18 जुलाई 2017 को हुई। उसी दिन पहले से ही इंसाफ की मांग करते सड़कों पर उतरे गुस्साए लोगों ने कोटखाई थाना फूंक डाला था। जनाक्रोश के बीच यह मामला सीबीआई जांच को सौंपा गया। नई दिल्ली से आई सीबीआई की टीम ने पुलिस की कहानियों को गलत करार दिया।

सीबीआई ने एक एफआईआर गुड़िया केस में दर्ज की तो दूसरा मामला पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज किया। गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में सीबीआई ने नीलू को पकड़ा और उसे सजा भी हो चुकी है। अब सूरज हत्याकांड में दो पुलिस अधिकारियों समेत आठ को दोषी करार दिया गया है।
अदालत ने इस तरह सुनाया अपना फैसला.. चंडीगढ़ में शनिवार को सीबीआई की अदालत ने आरोपी नंबर-9 एसपी डीडब्ल्यू नेगी को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर जमानत बांड निरस्त कर दिए। इसके अलावा आरोपी संख्या एक से आठ तक सभी को आईपीसी एक्ट 120-बी, 302 को 120-बी, 330 को 120-बी, 348 को 120-बी, 195 को 120-बी, 196 को 120-बी, 218 को 120-बी और 201 को 120-बी के साथ दोषी ठहराया गया है।

हलाइला गांव में बागवान के पास काम करता था सूरज

सूरज हलाइला गांव के एक बागवान के पास काम करता था। राजू, लोक चंद, सुभाष और दीपू भी उसके साथ काम करते थे। पुलिस ने इन पांचों को गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा दो अन्य स्थानीय युवकों को भी पकड़ा। मुख्य मामला गुड़िया से हुए दुष्कर्म और हत्याकांड का ही था। इस मामले में पुलिस ने बिना सबूत के राजू को मुख्य आरोपी बनाया तो सूरज और अन्य भी संलिप्त बताए। सीबीआई को संतरी के बयान और अन्य सबूत जुटाने के बाद यह मालूम हुआ कि लॉकअप में राजू ने सूरज को नहीं मारा, बल्कि चौतरफा आक्रोश के बीच पुलिस ने यह मनगढ़ंत कहानी गढ़ दी थी। असल में सूरज की हत्या पुलिस की मारपीट से ही हुई। चूंकि यह पूछताछ तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक जहूर हैदर जैदी और डीएसपी मनोज जोशी की निगरानी में चल रही थी तो वे भी इस मामले के आरोपी बनाए गए। अब कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों समेत आठ लोगों को दोषी करार दिया है।

कंडा जेल में 582 दिन तक रहा जहूर जैदी

जहूर हैदर जैदी 1994 बैच का आईपीएस अधिकारी है। वह उस एसआईटी का प्रमुख था, जिसे कोटखाई गुड़िया कांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। सीबीआई ने अगस्त 2017 में उसे सूरज की मौत के मामले में गिरफ्तार किया। जैदी 582 दिन तक शिमला के कंडा जेल में रहा। अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी। जमानत के बाद भी ट्रायल जारी रहा। जनवरी 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने जैदी को निलंबित कर दिया। तीन साल के निलंबन के बाद जनवरी 2023 में कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कर दीं। सितंबर 2023 में पुलिस विभाग में तैनाती दी गई थी।
सूरज के शरीर पर मिले थे कई घाव
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हो गया था कि सूरज की मौत पुलिस की यातना से हुई है। उसके शरीर पर कई जगह घाव पाए गए। इसलिए एक मामला पुलिस के खिलाफ दर्ज किया या। दूसरा गुड़िया हत्याकांड में दर्ज किया गया। इसके बाद सरकार की मांग पर मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने चिरानी नीलू उर्फ अनिल को गिरफ्तार किया।

दोषी करार पुलिस कर्मियों की नौकरी पर संकट

दोषी करार पुलिस कर्मियों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। डीएसपी मनोज जोशी मौजूदा समय में छठी आईआरबी कोलर में तैनात है। एसआई राजेंद्र सिंह एसडीआरएफ में सेवाएं दे रहा है। एएसआई दीपचंद शर्मा सेवानिवृत हो गया है। एचएचसी मोहन लाल, एचएचसी सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा शिमला की पुलिस लाइन कैथू में सेवारत हैं।
राजू बोला-आज इंसाफ मिला, 95 दिन रहा था जेल में
मनगढ़ंत कहानी बनाकर गुड़िया केस में मुख्य आरोपी बनाए गए बेगुनाह साबित राजू ने कहा कि आज लग रहा है कि इंसाफ हुआ है। बिना किसी कसूर के 95 दिन तक कंडा जेल में रहा हूं। उसने कहा कि दांदी के भूतेश्वर महाराज और मां दुर्गा की कृपा से यह न्याय हुआ है। सीबीआई के वह धन्यवादी हैं कि निर्दोषों को तंग नहीं किया और वास्तविक दोषियों को सजा मिली है।
टाइमलाइन: कब क्या हुआ
4 जुलाई 2017 : महासू स्कूल से घर जा रही 16 वर्षीय लड़की गुड़िया लापता हो गई।
6 जुलाई 2017 : कोटखाई के दांदी जंगल में गुड़िया का शव मिला। पुलिस ने दुष्कर्म के बाद हत्या का शक जताया।
8 जुलाई 2017 : मौके पर पहुंचे एसपी। 72 घंटे बाद भी सुराग नहीं लगने पर जनाक्रोश बढ़ा।
9 जुलाई 2017 : कई लोगों से पूछताछ के बाद भी गिरफ्तारी न होने पर सीबीआई जांच की उठी मांग।
10 जुलाई 2017 : सरकार ने बढ़ते जनाक्रोश के बाद जांच के लिए एसआईटी का किया गठन।
11 जुलाई 2017 : पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजा दिया गया। आरोपी को पकड़वाने के लिए एक लाख का इनाम घोषित हुआ।
12 जुलाई 2017 : तत्कालीन मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर कुछ कथित आरोपियों के फोटो वायरल हुए।
13 जुलाई 2017 : एसआईटी ने छह लोगों आशीष, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन, दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई 2017 : जांच के विरोध में ठियोग पुलिस थाना पर पथराव हुआ, गाड़ियां ताेड़ी गईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केस सीबीआई को सौंपने का एलान किया।

15 जुलाई 2017 : दो और लोगों के सैंपल जांच के लिए एकत्र किए।
सीएम ने सीबीआई जांच के लिए पीएम को लिखा पत्र।
16 जुलाई 2017 : दांदी जंगल में लोगों ने किया हवन। मामले की जांच के लिए जंगल में पहुंची एसआईटी।
17 जुलाई 2017 : दिल्ली से मुंबई तक जस्टिस फॉर गुड़िया की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन। भाजपा नेताओं ने राजभवन पहुंचकर सरकार काे बर्खास्त करने की उठाई मांग।
18 जुलाई 2017 : कोटखाई पुलिस थाना में रात को इंटेरोगेशन के दौरान एक आरोपी सूरज की मौत हो गई। जनता ने थाने को घेरकर आग लगाने का प्रयास किया।
22 जुलाई 2017 : सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया गैंगरेप और सूरज मौत मामले में केस दर्ज किया।
29 अगस्त 2017: सीबीआई ने सूरज हत्या मामले में आईजी जहूर एच जैदी, डीएसपी जोशी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार किए।
16 नवंबर 2017 : सूरज मौत मामले में ही पुलिस अधीक्षक डीडब्ल्यू नेगी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
28 मार्च 2018 : हाईकोर्ट ने सुस्त जांच प्रक्रिया को लेकर अफसर को फटकार लगाई और सीबीआई निदेशक को तलब किया।
29 मार्च 2018 : गुड़िया केस में हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सीबीआई ने 25 अप्रैल से पहले गुड़िया के कातिल को पकड़ने का दावा किया।
13 अप्रैल 2018 : सीबीआई ने गुड़िया मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश कर उसे रिमांड पर लिया और दिल्ली ले गई।
22 अप्रैल 2018 : सीबीआई आरोपी को लेकर दिल्ली से शिमला पहुंची।
23 अप्रैल 2018 : आरोपी को सीबीआई मौके की निशानदेही के लिए दादी जंगल ले गई।
18 जून 2021 : गुड़िया से रेप के आरोपी नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
अप्रैल 2019 : जहूर एच जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत। जारी रहा ट्रायल।
जनवरी 2023 : सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कीं।

सात साल दो माह चला ट्रायल, शिमला से चंडीगढ़ शिफ्ट हुआ केस

बहुचर्चित गुड़िया मामले की जांच के दौरान पुलिस हिरासत में हुए सूरज हत्याकांड मामले में सात साल दो माह तक कोर्ट ट्रायल चला। केस सीबीआई कोर्ट शिमला से चंडीगढ़ भी शिफ्ट हुआ। स्थानीय अधिवक्ताओं के विरोध के बाद जहूर जैदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केस दिल्ली शिफ्ट करने की मांग उठाई थी। डीडब्ल्यू नेगी ने दिल्ली की जगह चंडीगढ़ कोर्ट में मामले की सुनवाई मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मई 2019 में यह केस चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट शिफ्ट हुआ था। सूरज हत्याकांड मामले में अगस्त 2017 में आठ पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद 25 नवंबर 2017 को सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दायर हुई थी।

कोटखाई में छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले से जुड़े सूरज हत्या केस में आरोपित आईजी जहूर एच जैदी ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दायर की थी। जैदी ने केस हिमाचल से दिल्ली ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने वकील के माध्यम से दलील दी थी कि हिमाचल में माहौल ठीक नहीं है। यहां उन्हें कानूनी सहायता नहीं मिल पा रही है। शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी के वकील ने केस दिल्ली ट्रांसफर करने पर विरोध जताया था। उन्होंने इसे दिल्ली की बजाय चंडीगढ़ ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी। इस पर सभी आरोपियों के वकीलों ने सहमति जताई थी।

सीबीआई और आरोपी ने कहा कि शिमला से मामला स्थानांतरित किए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इस पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामला स्थानांतरित कर दिया था। पहले शिमला फिर चंडीगढ़ के सीबीआई कोर्ट में बीते सात साल दो माह के दौरान दर्जनों बार मामले की सुनवाई हुई। मामले से जुड़े कई गवाह पेश हुए। सीबीआई कोर्ट चंडीगढ़ ने शनिवार को मामले पर अपना फैसला सुनाया।