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ढह गई आप की इमारत: भ्रष्टाचार के छीटों को साफ नहीं कर पाई ‘झाड़ू’, इस बार AAP को दिल्ली ने इसलिए नकारा

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विनोद ठाकुर ट्राइबल टुडे

केंद्र सरकार से लगातार चलने वाली लड़ाई से दिल्ली के कामों में आने वाली बाधा बनी हार की बड़ी वजह।
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर बीते पांच सालों में पड़े भ्रष्टाचार के छीटों को झाड़ू साफ नहीं कर सकी। दिल्ली में पार्टी का तिनका-तिनका बिखर गया। शासन के दिल्ली मॉडल के सहारे पूरे देश में पैठ बनाने की कोशिश कर रही आप को दिल्लीवालों ने नकार दिया। बड़े सवालिया निशान आप की शासन व्यवस्था पर भी लगे। केंद्र सरकार से बार-बार झगड़ने वाली आप सरकार पर यकीन जताने की जगह दिल्लीवासियों ने डबल इंजन की सरकार को चुना। सत्ता विरोधी लहर इतनी तेज रही कि आलाकमान अरविंद केजरीवाल, पार्टी में नंबर-2 माने जाने वाले मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज समेत दूसरे मजबूत पिलर धड़ाम हो गए। यहां तक कि मुख्यमंत्री आतिशी भी हारते-हारते चुनाव जीत सकीं।
2020 से डगमगाने लगा था आप का नैतिक आधार
दिल्ली में 2020 में मिले मजबूत जनादेश के साथ ही आप को नैतिक आधार भी डगमगाने लगा था। इसकी शुरुआत दिल्ली सरकार के मंत्री रहे सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से हुई थी। 30 मई 2022 को ईडी ने मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया था। यह आप पर लगा पहला बड़ा झटका था। इससे पहले आप के जिन नेताओं पर आरोप लगे, उनसे पार्टी ने किनारा कर लिया, लेकिन जेल जाने के बाद लंबे समय तक जैन बिना जिम्मेदारी के मंत्री बने रहे। यहां तक कि इस चुनाव में भी आप ने जैन को मैदान में उतारा था।