Himachal Pradesh

एफआईआर के बाद विधायक के पिता ‘गायब’, इन विधायकों ने दर्ज करवाई है शिकायत

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ट्राइबल टुडे न्यूज़
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपियों की तलाश में छापामारी शुरू कर दी है। एफआईआर दर्ज होते ही कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा अंडरग्राउंड हो गए हैं। पुलिस विधायक के पिता की तलाश में जुटी है, लेकिन विधायक के पिता कहां है, इसका अभी तक कोई पता नहीं लग पाया है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर एक एमएलए और एक एमएलए के पिता पर एफआईआर दर्ज की गई है। हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद फरोख्त करने और करोड़ों के लेन-देन के आरोप लगाए हैं। मामले की शिकायत विधायक संजय अवस्थी और विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने पुलिस थाना बालूगंज में दर्ज करवाई है।
शिकायत में विधायक संजय अवस्थी और विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद फरोख्त करने और करोड़ों के लेन देन के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा दोनों विधायकों ने गैरकानूनी तरीके से सरकार गिराने, विधायकों के पांच से सात सितारा होटलों में रहने की व्यवस्था करने और हेलिकाप्टर से बागी विधायकों को ले जाने के आरोप लगाए हैं। क्रांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया है कि गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उत्तराखंड में उच्च अधिकारी के पद पर रहे हैं और उन्होंने भाजपा विधायकों के साथ मिलकर सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र रचा था। वहीं, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक पुलिस टीम हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा को हिरासत में नहीं ले पाई है।
बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
हिमाचल में पिछले दिनों से जारी सियासी उठापटक से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। हिमाचल के बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को होनी है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है। सत्ता पक्ष हो या बागी विधायक या फिर पार्टी कार्यकर्ता या समर्थक, सबके लिए सोमवार की रात काफी लंबी गई। सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। इसलिए सोमवार को प्रदेश की राजनीति का अलग ही अंदाज देखने को मिला। सरकार हो या विपक्षी या फिर बागी विधायक सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। इसलिए हर कोई अपने-अपने समीकरण और कयास लगाता रहा है। इन विधायकों के समर्थक इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि फैसला बागियों के हक में आएगा, तो सुक्खू समर्थक फैसला सरकार के पक्ष में आने को आशावान दिखे। उधर, भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस सारे मसले पर पूरी नजर बनाए हुए हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है।