शिमला रोप-वे की लागत बढऩे से लटका मामला, अब 1700 की जगह इतने करोड़ मांग रही कंपनी
शिमला स्थित जाखू रोप-वे। इसके बन जाने के बाद राजधानी के पर्यटन में और निखार आया है
प्रोजेक्ट में चार साल की देरी; अब 1700 की जगह 2700 करोड़ मांग रही कंपनी, मध्यस्थता सेे नहीं बन पा रही बात
प्रदेश की राजधानी शिमला में प्रस्तावित रोप-वे प्रोजेक्ट को लेकर वित्तीय कठिनाइयां पेश आने लगी हैं। इस प्रोजेक्ट पर चार साल बाद अभी टेंडर का प्रोसेस चल रहा है, लिहाजा इस दौरान महंगाई बढऩे से इसकी लागत में भी इजाफा हो गया है। सूत्रों के अनुसार जिस कंपनी के साथ नेगोसिएशन चल रही है, उसने 2700 करोड़ रुपए की डिमांड की है, जबकि यह प्रोजेक्ट 1700 करोड़ के आसपास का है। कंपनी का कहना है कि जब इसकी डीपीआर बनी थी, तब कीमतें कुछ और थीं। स्विस डॉलर में इजाफा हो गया है , लिहाजा पुरानी कीमत पर प्रोजेक्ट नहीं बन सकता है। सूत्रों के अनुसार अभी कंपनी से बातचीत की जा रही है, मगर सूत्रों की मानें तो दोबारा से केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव भेजना पड़ेगा, जिस पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार से इसकी डीपीआर को रिवाइज्ड करके नए सिरे से बाह्य वित्त पोषित एजेंसी को मामला जाएगा, ताकि उनसे और पैसा मिल सके। यदि ऐसा नहीं होता है, तो इस प्रोजेक्ट का इस राशि में बनना आसान नहीं है। ऐसे में शिमला रोप-वे का मामला लटक सकता है।
बताया जा रहा है कि परियोजना में देरी के कारण इसकी लागत काफी ज्यादा बढ़ गई है। पहले इसकी लागत 1734.40 करोड़ थी, जिसमें अब चयनित कंपनी 2700 करोड़ की डिमांड कर रही है। रोपवे कॉरपोरेशन अब चयनित कंपनी के साथ नेगोसिएशन कर रहा है, ताकि कुछ बात बन सके, मगर यह बात सिरे चढ़ती हुई नजर नहीं आ रही है। मंगलवार को भी रोपवे कारपोरेशन के अधिकारियों की कंपनी के पदाधिकारियों के साथ इस मामले को लेकर चर्चा हुई है