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केंद्र से 370 करोड़ मंजूर, काजा का अंधेरा होगा दूर

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सब-स्टेशन के साथ ट्रांसमिशन लाइन के लिए सरकार ने स्वीकृत की राशि, 10 फीसदी अपना पैसा लगाएगा बिजली बोर्ड

संदीप भारद्वाज ट्राइबल टुडे

हिमाचल के शीत मरुस्थल स्पीति वैली के काजा और इसके साथ जुड़े दूसरे इलाकों में बिजली की आपूर्ति को मजबूत करने के लिए पहली बार सब-स्टेशन बनेगा और ट्रांसमिशन लाइन बनाई जाएगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए 370 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है, जिसमें 10 फीसदी राशि राज्य बिजली बोर्ड खर्च करेगा। शेष 90 फीसदी पैसा केंद्र सरकार ग्रांट के रूप में हिमाचल को दे रही है। सूत्रों के अनुसार इस लाइन को तैयार करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। टेंडर होने के साथ ही इसपर काम शुरू होगा और तीन साल में यह काम पूरा हो सकेगा। क्योंकि यह एरिया भौगोलिक दृष्टि से काफी ज्यादा परेशानी वाला है और यहां पर किसी भी तरह का निर्माण आसान नहीं है, इसलिए यहां ट्रांसमिशन की लाइन बिछाना बेहद ज्यादा मुश्किल है। यहां काम करने के लिए विशेषज्ञ कंपनी ही चाहिए।

यही कारण है कि मात्र 66 केवी सब स्टेशन और उसकी ट्रांसमिशन लाइन के लिए 370 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार ने मंजूर की है। जब यहां पर केंद्र सरकार के बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत 66 केवी लाइन बनकर तैयार हो जाएगी, तो यहां पर बिजली की समस्या पूरी तरह से ही दूर हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यहां पर चीन से सटे इलाकों को मिलेगा, क्योंकि वहां पर सेना के जवान भी रहते हैं और सेना को इसका काफी ज्यादा फायदा मिलने वाला है। अभी पूरी काजा वैली में बिजली की व्यवस्था के लिए सोलर प्लांट आदि पर निर्भरता है, जिसके अलावा यहां पर बैटरी से चलने वाले उपकरणों का भी इस्तेमाल होता है। यहां पर सौर ऊर्जा से उत्पादन की काफी ज्यादा संभावना है, मगर ट्रांसमिशन लाइन न होने की वजह से यहां कोई बड़ा प्लांट नहीं लग रहा है। वैसे केंद्र सरकार यहां पर एक सोलर पार्क बनवाना चाहती है, परंतु 1000 की क्षमता वाला यह पार्क आज तक कागजों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। टेंडर कर दिए गए हैं और जल्द ही इनको ओपन किया जाएगा। (एचडीएम)

काजा में सब-स्टेशन नहीं

अभी तक काजा में कोई सब-स्टेशन नहीं है। यहां के लिए पूह से ही बिजली दी जा रही है, जिसका कोई भरोसा नहीं है। काजा, नाको, ताबो व लोसर जैसे एरिया में बिजली कब आएगी, कब नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। यहां कभी भी आपूर्ति ठप हो जाती है। इसके साथ यहां पर बिजली की लो वोल्टेज की समस्या तो वैसे ही कायम है।

नाको गांव में सेना के लिए भी बिजली की व्यवस्था नहीं

नाको गांव से ऊपर चोटी पर सेना के जवानों का डेरा है। वहां तक भी अभी बिजली की व्यवस्था नहीं है। नाको काफी बड़ा गांव है, मगर रात को यह गांव अंधेरे में डूब जाता है। बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार ने यहां पर दूसरी जरूरी सुविधाओं को पूरा करने के लिए इंतजाम किए हैं, जिसमें पानी की व्यवस्था यहां पर पूरी तरह से जल जीवन मिशन के तहत कर दी गई है। यहां बिजली की बड़ी समस्या इतनी आसानी से दूर होने वाली नहीं है। फिर भी उम्मीद है कि तीन साल बाद यहां पर पूरे गांव दूधिया रोशनी से जगमगाने शुरू हो जाएंगे।