Himachal Pradesh

तीन महीने में कागज 30 फीसदी महंगा, उद्योगों पर संकट

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संदीप भारद्वाज ट्राइबल टुडे

पेपर मिलों की मनमानी से हिमाचल के 250 गत्ता उद्यमियों में रोष; करोड़ों का हो रहा नुकसान, अब हड़ताल की तैयारी
पेपर मिलों द्वारा पेपर के दामों में की गई बेतहाशा बढ़ोतरी ने हिमाचल प्रदेश के गत्ता उद्योगों की कमर तोड़ कर रख दी है। हालात यह है कि कच्चे माल के दाम में लगातार जारी वृद्धि ने जहां उद्योगों में कामकाज प्रभावित हो रहा है, वहीं भुगतान के संकट के बीच हजारों कामगारों की नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगा है। गत तीन महीने के अरसे में ही कागज की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी गई है। गत्ता उद्यमियों ने दो टूक शब्दों में ऐलान किया है कि अगर पेपर मिलों की मनमानी नहीं रुकी, तो गत्ता उद्योग हड़ताल पर चले जाएंगे । दरअसल क्राफ्ट पेपर कंपनियां मनमर्जी से रेट बढ़ाती जा रही है, लेकिन गत्ता उद्योगों को उनके वेंडर न तो बढ़ी कीमत दे रहे हैं और न ही गत्ता उद्योग पुराने रेट पर माल दे पाने की स्थिति में है। ऐसे हालातों में गत्ता उद्योग तालाबंदी की कगार पर पहुंच गया है।
गत्ता उद्यमियों ने जहां राज्य सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह किया है, वहीं इस मुद्दे पर आगामी रणनीति के लिए हिमाचल प्रदेश गत्ता उद्योग संघ ने पहली अक्तूबर को आपात बैठक बुलाई है। गत तीन महीने में कागज की कीमत 30 प्रतिशत तक बढऩे से प्रदेश के लगभग 250 कोरोगेटेड बॉक्स (गत्ते के डिब्बे) निर्माता उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। प्रदेश में उद्योगों को 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है। पेपर मिल संचालकों की मनमानी से परेशान गत्ता उद्योग अपने ग्राहकों को माल सप्लाई नहीं कर पा रहे है । बीबीएन क्षेत्र में करोगेटेड (गत्ता) बॉक्स और प्रिंटिंग उद्योगों का हब है,