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इन योगों में 6 जून को मनाई जाएगी निर्जला एकादशी

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हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि एकादशी तिथि 6 जून को देर रात 2:15 बजे प्रारंभ होगी और 7 जून को सुबह 4:47 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत उदयातिथि में करना उत्तम माना गया है। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्जला एकादशी के दिन भद्रावास और वरियान योग का संयोग बन रहा है। इसी के साथ हस्त और चित्रा नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त और वणिज करण के भी योग हैं।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत महाभारत काल से ही बहुत खास माना गया है। एक बार व्यासजी के कहने पर पांडवों में भीम ने निर्जला एकादशी व्रत किया था। तभी से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से साल भर की एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है।